गोकाक में नंबर गेम
कौन बनेगा किल्ले का बादशाह?
बेलगावी: सारे देश की आँखें अब कर्नाटक दि.५ के १५ विधान सभा क्षेत्रों के उपचुनाव के नतीजे पर टिकी हुई है, खास कर गोकाक क्षेत्र पर क्यूं के कांग्रेस-जेडीएस सरकार के विरुद्ध बगावत का डंका यहीं से बजा था. यहीं के कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जार्किहोली ने बगावत का घंटा अपने गले में बांधा था। अब रमेश के साथ, १४ और बागी विधायकों का भविश्य ई.वि.एम. में बंद है और दि.९ को बहार आने वाले हैं। राज्य की जनता बेताबी से नतीजे के इन्तेज़ार में है।
गोकाक में भाजपा-कांग्रेस-जेडीएस के बीच त्रिकोणीय प्रतियोगिता का उग्र रुप से हम सब वाकिफ़ हैं। मतदान समाप्त हो गया है। भ्रष्टाचार पर आरोप-प्रत्यारोप थम गया है, लाउड-स्पीकर से गूंजती नारे-बाजी शांत हो गई हैं और लोग अपना फ़ैसला जताकर चुप हैं। कर्यकर्ता पत्रकार और अपने नेताओं से विचार-विमर्श कर रहे हैं के सोमवार को क्या होगा। तीनों प्रतियोगी – भाजपा के रमेश, कांग्रेस के लखन जो रमेश के छोटे भाई हैं और जेडिएस के अशोक पुजारी अपने जीतने की उम्मीद कर रहे हैं और अपना ही हिसाब लगा रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक अपने सिर खरोंच रहे हैं की आख्रर नतिजा क्या होगा।
कांग्रेस को विशवास है की लिंगायत वोट भाजपा और जेडीएस में विभाजन से उन्हे होगा और गैर सम्प्रदाइक विचार के लोगों का वोट उन्हें मेलेगा. जेडीएस समझती है के जार्किहोली भाईयों के बीच स्पर्धा के कारण उनका वोट-बैंक बिखरेगा और जार्किहोली के परिवारिक राजकारण के विरोधी वोट से उसे बडा फ़ायदा होगा।
भाजपा को विशवास है की रमेश गए २० साल से गोकाक निर्वाचन क्षेत्र में अपना वर्चस्व बनाया रखा है, लोगों की सेवा की है, क्षेत्र के उन्नती के लिए काम किया है. २०१८ के लोक-सभा चुनाव में रमेश कांग्रेस में ही थे लेकिन भाजपा के उम्मीदवार सुरेश अंगडी को एक लाख वोटों का लीड दिलवाया था। आज भी गोकाक में भाजपा की लहर कायम है तो जीत उसीकी होगी।
दुसरी ओर, गोकाक के चुनाव को लेकर सट्टेबाजी शुरू हो गई है। विजेता कौन है? कौन नंबर वन, कौन नंबर वन? दुसरे और तीसरे स्थान पर कौन आता है? इसी को लेकर सट्टेबाजी करने वाले अपनी-अपनी किस्म्त आज़मां रहे हैं।
वोटिंग हो चुकी है और मतदाता अपना फ़ैसला कर चुकी है, वोट ईवीएम में बंद है और सोमवार का इन्तेज़ार है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषण अपनी खुजली जारी रखे है।